
नालंदा/कल्याण बीघा: बिहार की सियासत आज इतिहास के नए पन्ने पर दर्ज हो गई, और इसी ऐतिहासिक पल का सबसे खास गवाह बना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैतृक गांव कल्याण बीघा, जहां शपथ लेते ही पूरा गांव मानो उत्सव में तब्दील हो गया। 10वीं बार मुख्यमंत्री बनते ही गांव की गलियों में आतिशबाजी, ढोल-नगाड़ों की थाप और “नीतीश कुमार जिंदाबाद” के नारों ने माहौल को पूरी तरह जश्न में रंग दिया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के चेहरे पर गर्व की चमक साफ दिखाई दी।
गांव में सुबह से ही उत्साह चरम पर था, जैसे ही टेलीविजन पर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, ग्रामीणों की भावनाएं उमड़ पड़ीं। जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं, पटाखों की गूंज ने माहौल को और भी रोमांचित कर दिया। ग्रामीणों ने इसे सिर्फ राजनीतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि बिहार के विकास की जीत बताया। कई लोगों ने कहा,
“नीतीश कुमार सिर्फ नेता नहीं, बिहार के विकास पुरुष हैं। आज उनका नहीं, पूरे बिहार का सम्मान हुआ है।”
गांव के युवाओं में भी उत्साह चरम पर नजर आया। उन्होंने बैनर, पोस्टर लगाकर नीतीश कुमार के तीसरे कार्यकाल की नई संभावनाओं को लेकर उम्मीदें जताईं।
गांव की महिलाओं ने भी खुशी जताते हुए कहा कि सड़क, विद्युत, शिक्षा और महिला सम्मान जैसे मुद्दों पर नीतीश कुमार की नीतियां गांव से राजधानी तक आज भरोसे की पहचान बन चुकी हैं।
कल्याण बीघा ने आज यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं, लंबे अनुभव वाले अनुभवी मार्गदर्शक हैं।





