
पटना 25 नवंबर। बिहार में नई नीतीश सरकार ने अपने पहले ही कैबिनेट बैठक में वह फैसला किया है जिसका इंतजार गन्ना किसान वर्षों से कर रहे थे। राज्य में बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा चालू करने, गन्ना उद्योग को पुनर्जीवित करने और इसे नई औद्योगिक पहचान देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि बिहार को एक बार फिर देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों की कतार में खड़ा करेगा।
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने 9 पुरानी बंद मिलों को रिवाइव करने और कुल 25 चीनी मिलों के लिए पुनर्गठन कार्ययोजना तैयार करने की मंजूरी दी है। इन मिलों में चीनी उत्पादन के साथ-साथ एथेनॉल उत्पादन की भी संभावना तलाशने का प्रस्ताव है, जिससे राज्य में नई औद्योगिक ऊर्जा पैदा होगी और रोजगार के बड़े अवसर खुलेंगे।
किसानों की आय बढ़ेगी, उद्योग को नई रफ्तार
सरकार का मानना है कि जब मिलें चालू होंगी, तो गन्ना किसानों को मंडी का बेहतर और स्थायी विकल्प मिलेगा, समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा और गन्ने की खेती एक लाभकारी व्यवसाय बनेगी। ग्रामीण पट्टी में रोजगार और बिजनेस के नए रास्ते खुलेंगे, जिससे गांव से पलायन की समस्या में भी कमी आ सकती है।
चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनेगी हाई-लेवल कमेटी
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, बंद चीनी मिलों को चालू करने और नए प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी। यह समिति निवेश, निजी-साझेदारी, तकनीकी अध्ययन और व्यावहारिक क्रियान्वयन की रूपरेखा तय करेगी।
सकरी और रैयाम मिलों पर विशेष फोकस
सरकार ने विशेष रूप से सकरी (दरभंगा) और रैयाम (समस्तीपुर) की परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया है, ताकि जल्द से जल्द इन मिलों में उत्पादन शुरू कराया जा सके और इन्हें एथेनॉल प्लांट से भी जोड़ा जा सके। इससे बिहार को नई ऊर्जा-आधारित इंडस्ट्री में बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा।
‘बदलते बिहार’ के औद्योगिक विकास की दिशा में बड़ा कदम
नीतीश सरकार का यह कदम कृषि-आधारित उद्योग को बढ़ावा देने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और युवाओं के लिए रोजगार सृजन की दिशा में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। आने वाले समय में बिहार न केवल चीनी उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि एथेनॉल और बायो-एनेर्जी सेक्टर में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।



